फिर एक नया इतिहास लिखूँगा
"फिर एक नया इतिहास लिखूँगा"
क्रोध भरा है सीने में कलम से अंगार लिखूंगा
स्वार्थ की कसौटी पर रिश्तों का व्यापार लिखूंगा |
नहीं चाहिए राम राज्य, ना होगी नारी की अग्नि परीक्षा
नहीं डर मुझे किसीका सितापर हुए अत्याचार लिखूंगा |
भीम अर्जुन और युध्दीष्ठिर को मै कायर लिखूँगा
पाच विरो कि भार्या भी हुई लाचार लिखूँगा |
संतो की इस भुमी को मेरा भारत महान लिखूँगा
जाती धर्म के नाम पर हो रहे अत्याचार लिखूँगा |
बहुत सह लिया ज़ुल्मों सितम अब
अन्याय के खिलाफ कलम कि हुंकार लिखूंगा |
अब नहीं इंतजार किसी के आने का
अब मैं खुद दुष्टों का संहार लिखूंगा |
-अँड. पंकज गायकवाड
विद्रोह मराठी काव्यसंग्रह
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